फेसबुक प्र एक भाई की कमेन्ट पढ़ी थी उस भाई को अपने सवाल का जवाब चाहिए था पर उस वक्त में दे नहीं पाया पता नहीं उस को जवाब मिला या नहीं पर आज में वो ही सवाल लिख कर उसका जवाब दे रहा हु सवाल् ये था अस्सलामु अलैकुम! अल्लाह का करम है जो अब तक मेरी गलतियों को माफ़ करते आ रहा है, मैं नमाज़ का पाबंद हुं लेकिन मुझ से अधिकतर एक बहुत बड़ी गलती होती है, मुझ से आँखों का जिना हो रहा है। मैं अपने नफ्स पर काबू कर लेता हुं पर कुछ वक्त कर नहीं पाता हुं। कोई हज़रात मुझे कोई क़ुरान की आयत बतायं जिस में आँखों के जिना से बच सकुं।
उस भाई के लिए और ऐसे तमाम सवाल करने वालो के लिए जवाब मिल गया है
आपका जवाब कुर आन के हवाले से वअ़लैकुम अस्सलाम वरहमतुल्लाहि वबराकातुह! बदनज़री से मुतल्लिक हदीसों में चेतावनी आई है। आप बदनज़री से बचने और गुनाहों से दूर रहने की भावना रखते हैं ये बहुत खुशी की बात है। शैतान इंसान का हमेशा का दुश्मन रहा है।
इंसान को परेशानी और मुसीबत में ड़ालने के लिए अनेक हथकंड़े अपनाता है इन्हीं में से एक हथयार बदनज़री है। इंसान जब बदनज़री का शिकार हो जाता है तो शैतान के चंगुल में फंस जाता है फिर और गुनाहों का रास्ता और दरवाज़ा इसके लिए सरल व आसान होता है।
नफ्स के इच्छा व कामनाओं पर वश व काबू पाकर जो इंसान नज़र का बचाव करे इस को इ़मानी मुहब्बत मिठास का अता की जाती है जैसा के अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम) का फरमान हैः-
तर्जुमा - हज़रत अबदुल्लाह बिन मसऊ़द रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से रिवायत है हज़रत सैयदना रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने फरमायाः नज़र शैतान के तीरों में से एक जहरीला तीर है। जिस ने मेरी अकीदत ओ मुहब्बत से बदनिगाही छोड़ दी तो मैं इस के बदले इस को उचे दर्जे का इमान अता करता हुँ, जिस की मिठास वह अपने दिल में पाता है।
(अल मुअ़जम अल कबीर लित तबरानी, हदीस संख्याः 10211 / जामेअ़ अल हादीस, हदीस संख्याः 7525)
गुनाहों से बचने के लिए आप सुरह अ़लक़ की इस खास आयत के तर्जुमे पर ग़ौर व ध्यान करते हुए पढ़ा करें-
आयत- अलम यअ़लम बि अन्नल्लाहा यरा।
तर्जुमा - क्या वह नहीं जानते के अल्लाह तआ़ला देख रहा है।
(सुरह अल अ़लक़ 96:14)
अल्लाह तआ़ला आप को और सारे मुसलमानों को अपने हबीब पाक सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम के सदखे व तुफैल गुनाहों से महफूज़ रखे। आमीन।
{और अल्लाह तआ़ला सब से बेहतर जानने वाला है,
हकीम दानिश
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