Wednesday, February 4, 2015

जुमा का दिन

अस्सलामु अलैकुम आप सब भाई बहनो को मुबारक दिन जुमा बहुत बहुत मुबारक जुमा 70 बरस की इ़बादत से अफ़ज़ल

ह़ज़रत मूसा अ़लैहिस्सलाम कोहे बैतुल मुक़द्दस की त़रफ़ गए तो आ़बिदों की एक जमाअ़त देखी जो इन्तिहा दर्जे की कोशिश से अल्लाह तआ़ला की इ़बादत में मसरूफ़ थी !
ह़ज़रत मूसा अ़लैहिस्सलाम ने पूछा :
आप लोग कौन हैं ?
अ़र्ज़ किया : हम आप की उम्मत में हैं और सत्तर (70) बरस से इ़बादत कर रहे हैं, सब्र हमारा लिबास, घास हमारी ख़ुराक और बारिश हमारा पानी हैं !
ह़ज़रत मूसा अ़लैहिस्सलाम बहुत खुश हुए !
अल्लाह तआ़ला ने वह़ी भेजी (पैग़ाम भेजा) :
ऐ मूसा, उम्मते मुह़म्मदी के लिए एक ख़ास दिन मुकर्रर किया गया हैं, उस दिन में दो रक्अ़त पढ़ना इस सत्तर (70) बरस की इ़बादत से अफ़ज़ल हैं !
ह़ज़रत मूसा अ़लैहिस्सलाम ने अ़र्ज़ की :
या अल्लाह तआ़ला वोह कौन सा दिन हैं ?
इर्शाद हुआ : "वोह जुमें का दिन हैं 
सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैहीे वसल्लम

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