Wednesday, January 21, 2015

हकीम की शायरी


कभी मंदिर पे बैठते हैं कभी मस्जिद पे …!!
ये मुमकिन है इसलिए क्योंकि परिंदों में नेता नहीं होते ….!!

********

आज भी ये बात हम समझ ही नहीं पाते हैं !!
मुट्ठी जितने दिल में कैसे ज़माने के गम समाते हैं ?

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कीसी से भी अपनी जीदगी मे बने रहने के लिए
भीख न मागो जीसे रहना होगा वो कीसी भी
कीमत पर आपकी जीदगीमे बने रेगा…

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बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी…
लेकिन,दूसरो को रौंदने का हुनर कहां से लाता!

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“अपनी ‘उम्र’ और ‘पैसों’ पर कभी ‘घमंड’ मत करना…
क्योंकि जो चीज़ें ‘गिनी’ जा सकें वो यक़ीनन ‘ख़त्म’ हो जाती हैं…”

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हज़ार चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको;
पर दिल की ज़िद्द थी, अगर वो नहीं तो उस के जैसा भी नहीं…

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मंज़िल भी नहीं…ठिकाना भी नही…
वापस उनके पास जाना भी नहीं…
मैंने ही सिखाया था उन्हें तीर चलाना और
अब मेरे सिवा उनका कोई निशाना भी नहीं…

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हमसे तन्हाई के मारे नहीं देखे जाते
बिन तेरे चाँद-सितारे नहीं देखे जाते

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दिलों कि बात करता हैं ज़माना.
पर आज भी मोहोब्बत चेहरों से ही शुरू होती हैं !

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मेने तक़दीर पे यक़ीन करना छोड़ दिया है,
जब इंसान बदल सकते है तो ये तकदीर क्या चीझ हे…

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फिक्रमंद हूँ आजकल तेरे बारे मेँ सोच के,
यूँ मुझपर गौर करोगे तो मुझसे मुहब्बत हो जाएगी!!!

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‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में…

जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से ।।।

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खतरा है इस दौर में, बुजदिलों से दिलेर को.
धोखे से काट लेते हैं ”कुत्ते” भी ”शेर” को…!

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तुजे कया खबर तेरी याद ने मुझे कीस तरह सताया….
कभी अकेले मे हसा दीया तो कभी भरी मेहफील मे रुलाया…

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कौन कहता है की खूबसूरती… उम्र की मोहताज है …..
हमने आज भी पुराने पन्नो पर, नए अफसाने लिखे देखे है..

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इतने कहाँ मशरूफ़ हो गए हो तुम;
आजकल दिल तोड़ने भी नहीं आते!

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बड़े सुकून से वो रहता है आज कल मेरे बिना,
जैसे किसी उलझन से छुटकारा मिल गया हो उसे..!

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टूटा हुआ फूल खुश्बू देता है;
बीता हुआ पल यादें देता है;
हर शख्स का अपना अंदाज़ होता है;
कोई प्यार में ज़िंदगी, तो कोई ज़िंदगी में प्यार दे जाता है !!!

*********

मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना, क्युंकी
मेरी दुश्मनी का नुकसान सह नही पाओग..

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मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से ,रास्ता पूछना ,अच्छा नहीं होता ।

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रंज ये नही कि जो मिले वो पत्थर के लोग थे,
अफ़सोस ये है कि उनमे चंद मेरे घर के लोग थे…!!

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मिट्टी के खिलौने भी सस्ते ना थे मेले में,
माँ-बाप बहुत रोये घर आ के अकेले में
!

********

“खुल जाता है तेरी यादों का बाज़ार हर शाम,
फिर मेरी रात इसी रौनक मे गुजर जाती है”

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सिर्फ हम ही क्यूं रहे नशे में ए साकी..
एक जाम वहां भी दे , के मुहब्बत उन्हें भी थी…

********

पहले इश्क फिर धोखा फिर बेवफ़ाई,
बड़ी तरकीब से एक शख्स ने तबाह किया..

*********

आये थे हंसते खेलते मैखाने में ‘फिराक’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गये

**********

जहासे तेरी बादशाही खत्म होती है
वहासे मेरी नवाबी सुरु होती है

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मोहब्बत को इसकी बदमिज़ाजी ने ही बदनाम कर रखा है, क़दरदानों से कोसों दूर पड़ी रहती है बे-क़द्रों की ‘जूतियों’ के नीचे…!!

********

अगर अलग होना इतना आसान होता तो रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते न आते।
बस इतनी इनायत बख्शना तू “मेरे नाम” को ऐ
खुदा,,,,,,,
कि जिसके भी लबों पे उभरे “मुस्कराहट” के साथ उभरे !!”

********

वक्त पे न पहचाने कोई ये अलग बात,
वैसे तो शहर में अपनी पहचान बहुत हैं।।।

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हमारा दुश्मन हमसे बोला
“बहुत महंगी पड़ेगी तुझे दुश्मनी मेरी “…
हमने उसको उत्तर ये दिया कि ”
सस्ती चीज हम कभी खरीदते ही नहीं”

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“इश्क” ‘महसूस’ करना भी इबादत से कम नहीं..
ज़रा बताइये ‘छू कर’ खुदा को किसने देखा है..

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हक़ीकत से बहोत दूर है ख्वाहीश मेरी,
फिर भी ख्वाहीश है कि एक ख्वाब हक़ीकत हो जाये।

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उसकी निगाहों में इतना असर था खरीद ली उसने एक नज़र में ज़िन्दगी मेरी.

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हमें पसन्द नहीं जंग में भी चालाकी,यारो….
जिसे निशाने पे रखते हैं, बता के रखते हैं…..!

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“रहे सलामत जिंदगी उनकी,
जो मेरी खुशी की फरियाद करते है.

ऐ खुदा उनकी जिंदगी खुशियों से भरदे,
जो मुझे याद करने में अपना एक पल बर्बाद करते है…..!!

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भूल सकते हो तो भूल जाओ ,
इजाज़त है तुम्हे,
न भूल पाओ तो लौट आना ,
एक और भूल कि इजाज़त है तुम्हे…

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बरबाद कर देगी ये दोनों की लड़ाई मुझे।।
न ईश्क हार मानता है और ना दिल शिकस्त का आदि है।।

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वक्त मिले कभी तो कदमों तले भी देख लेना,
बेकसूर अक्सर वहीं पाये जाते हैं..

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मेरी मौत की ख़बर देना उन्हें मगर इन
अलफ़ाज़ में……!
तुम्हारा बरसों का जो अरमान था अब
पूरा हो गया ….!!

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क़ायनात की सबसे महंगी चीज एहसास है
जो दुनिया के हर इंसान के पास नहीं होता

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सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से;
इक रोज़ तुम्हे मांग के देखेंगे खुदा से।

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झूठ कहते हैं लोग कि मोहब्बत सब कुछ छीन लेती है,
मैंने तो मोहब्बत करके, ग़म का खजाना पा लिया ।

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जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक़्त को मरहम बनाना सिख लें.
हारना तो है मोतके सामने, फ़िलहाल जिन्दगी से जीना सिख लें….!!

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मैं चुप रहा और ग़लतफ़हमी बढ़ती गयी
उसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नहीं…

********

दिल भी कमाल करता है,
जब खाली खाली होता है , भर आता है!

*********

मोहब्बत ज़िन्दगी बदल देती है …..

मिल जाये तब भी ….!!!
ना मिले तब भी ….!!!

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आसमान में उड़ने की मनाही नहीं है,
शर्त इतनी है की ज़मीन को नजर अंदाज़ ना करे…

*********

रोज़ इक ताज़ा शेऱ कहां तक लिखूं तेरे लिए, तुझमें तो रोज़ ही एक नयी बात हुआ करती है

********

इक मशवरा चाहिए था साहेब !
दिल तोड़ा है इक बेवफा ने , जान दे दूं या जाने दूं ।

*********

मैने ही दुआ मांगी उसकी खुशी की खातिर !!

वो मेरे बिना आज खुश है तो फिर ये जलन कैसी !

********

” सागर के किनारो पे खजाने नहीं आते।
पल जो फीसल गये हाथ से वो दुबारा नहीं आते।

**********

“जी भर के जीलो इन हसी पलो को जनाब।
क्योंकी….
फीर लौटके वो दोस्ती के जमाने नहीं आते।”

**********

यु तो क्या कहे की जिंदगी ने इम्तेहान बहुत लिए…
आँखों में आंसू कम, पर दिल पे जख्म कई दिए…

हर पर ख़ुशी की तलाश में भटकती रही जिन्दगी…
ख़ुशी न मिली, तो गम छुपाने के लिए मुस्कुरा दिए…

**********

“माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!”

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दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट, ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि जीवन में मंगल है या नहीं।

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इश्क करो तो होम्योपैथिक वाला करो ,
फायदा ना हो तो नुक्सान भी ना हो…

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पैर की मोच और छोटी सोच – हमें आगे बढ़ने नहीं देती…

टुटी कलम और औरो से जलन – खुद का भाग्य लिखने नहीं देती…

काम का आलस और पैसो का लालच – हमें महान बनने नहीं देता…

अपना मजहब उंचा और गैरो का ओछा – ए सोच हमें इन्सान बनने नहीं देती

*********

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है,
ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है..!!

********

तुम शराफ़त को बाज़ार में क्यूँ ले आए हो, दोस्त…
ये सिक्का तो बरसों से नहीं चलता…!!

*********

ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है

********

रकीबों के सर गलत इल्जाम ए बेवफाई है
गैरों ने तो सिर्फ हवा दी है..आग तो अपनों ने
ही लगायी है….!!!

********

जो घरों को छोड़ के है चले
उन्हें क्या सतायेगे फासले ।।।
~ जावेद अख्तर

********

मरहम न सही एक जख्म ही दे दो
महसूस तो हो की हमे तुम भूले नहीं हो..

*********

“शाम के बाद मिलती है रात,
हर बात में समाई हुई है तेरी याद.
बहुत तनहा होती ये जिंदगी,
अगर नहीं मिलता जो आपका साथ.”

********

“ज़िंदगी से यू चले है इल्ज़ाम लेकर,
बहुत जी चुके उसका नाम लेकर,
अकेले बाते करेंगे वो इन सितारो से,
जब हम चले जाएँगे उन्हे सारा आसमान देकर”

*********

अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!

*******

तेरे होने पर खुद को तनहा समझू !
मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू !!
ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो !
ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझू!!

********

मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं,
रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते है.

*********

“इश्क़ ऐसा करो कि धड़कन मे बस जाए,
सांस भी लो तो खुश्बू उसी की आए,
प्यार का नशा आँखो पे ऐसा छाए,
बात कोई भी हो,पर नाम उसी का आए.”

********

कुछ और कश लगा ले ऐ ज़िन्दगी…
बुझ जाऊंगा किसी रोज़ सुलगते – सुलगते…

*********

ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोच कर गुज़ार दी.

*******

वक़्त बहुत कुछ, छीन लेता है …

खैर मेरी तो सिर्फ़ मुस्कुराहट थी ..

*******

चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये…
अब मजा देने लगी हैं जिदगी की मुश्किलें…!!!

*******

“हम तो बस लिख देते हैं जहन में आ जाता है
जो,
जुड़ जाता है आपके दिल से तो बस इत्तेफाक
समझिये…!”

*******

ज़रा देख दरवाज़े पर दस्तक किसने दी है
अगर हो इश्क तो कहना, यहाँ दिल नहीं रहता..

*********

“मतलबी लडकी से अच्छी तो मेरी सिगरेट हे
यारो..
जो मेरे होठ से अपनी जिंदगी शुरू करती हे ओर
मेरे कदमो के नीचे अपना दम तोड देती हे…!”

*********

दौलत की भूक ऐसी के घर से निकल गए
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए।

********

फुल हो तुम मुरझाना नहीं, साथ छोड़ के कभी दूर जाना नहीं…
जब तक हम जिन्दा है ऐ दोस्त कभी किसी से
घबराना नही…

********

बेक़सूर ज़िंदगी इल्ज़ामों से घिरी रही
कसूरवार हँसता रहा मुझ पर ताउम्र …..

*********

शुबह होती नही शामढलती नही
नज़ाने क्या खूबी है आप मे के
आप को यादकिए बिना खुशी मिलती नही

*********

मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग ।।
हर किसी से ,रास्ता पूछना ,अच्छा नहीं होता ।।।

********

“हर एक शख्स ने अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया हमें..
और हम समझते रहे लोग हमें पसंद करते हैं !!”

*********

“कम से कम दो चार लोगों से रिश्ते बनाये रखिये, क्युंकि
कब्र तक लाश को दौलत नहीं ले जाया करती ।”

********

रानी के बगेर बादशाह की सब चाल अधूरी होती है, लेकिन मेरी ज़िन्दगी ताश के एक्के की तरह है, ना तो रानी के आने से फरक पड़ता है या जाने से …

********

एक सच्चा दिल सब के पास होता हैं
फिर क्यों नहीं सब पे विश्वास होता हैं
इंसान चाहे कितना भी आम हो
वो किसी न किसी के लिए जरुर खास होता हैं.

********

क्यूँ न हो मेरी नज़रों को शिकायत रात से.
सपना पूरा होता नहीं और सवेरा हो जाता है….

********

जो कोई समझ ना सके वो बात है हम.
जो ढलके नयी सुबह लाये वो रात है हम.

छोड देते है लोग रीश्ते बनाकर.
जो कभी छोडके ना जाये वो साथ है हम.

********

ये बद्दुआयें अपने पास ही रखो साहब,
मुझे मुहब्बत है, खुद ही मर जाऊँगा !!,

********

खतरा है इस दौर में, बुजदिलों से दिलेर को,
धोखे से काट लेते हैं ”कुत्ते” भी ”शेर” को..

*********

आज़ाद परिंदा बनने का मज़ा ह कुछ और है,
अपने शर्तो पे ज़िन्दगी जीने का नशा ही कुछ और हैं. .

*********

तमन्नाओ की महफ़िल….. तो हर कोई सजाता है,,
पूरी उसकी होती है…… जो तकदीर लेकर आता है..!!

*********

बर्बाद वो अपने इश्क में मुझे कर के बोले ____
“तुम वो नहीं जिसकी मुझे तलाश थी”

********

जिधर देखो, उधर मिल जायेंगे, अखबार नफरत के
बहुत दिन से, मोहब्बत का न देखा, एक खत यारो !!

*********

अब हमें भी नहीं रखना शौक तेरी मुहब्बत का,
जो रुला सकता है वो भूला भी सकता है….

********

हर नए ज़ख़्म पे यूँ ही नहीं मुस्कुरा देते ..
याद आता है मुझे जान से प्यारा कोई!!!!!

********

आग लगी थी मेरे घर मे,
बचा ही क्या है ?

मैँने कहा-“मैँ बच गया हूँ ”

वो बोली-“तो फिर जला ही क्या है”?

********

लौट आती है ये जा जा के
नये जिस्म में क्यों,
आखिर इस रूह का
इस दुनिया से रिश्ता क्या है….

********

जो तेरी आंखो से बयान होते हैं,
वो लफ़्ज़ किताबों मे कहाँ मिलते हैं…

********

“यूँ ही जिंदगी की कशमकश में थोड़ा उलझ गये हैं यारों,
वरना हम तो दुश्मनों को भी अकेला महसूस होने नहीं देते!”

*********

सोचों तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह |
देखो तो शिकन भी नहीं है लिबास में |

********

मुझको हँसते हुए इस दुनिया से रुखसत कीजे
कोई रोता है भला जब कोई घर जाता है

********

न करना वक्त से तुम बदतमीजी…
कि वो अक्सर पलटकर बोलता है !!

*********

कोई नाराज हैँ हमसे हम कुछ लिखते नहीँ,
कहां से लाएं लफ्ज जब वो हमसे मिलते नहीँ …

********

दर्द की जुबां होती तो बता देते,
वो जख्म कैसे बताएं जो दिखते नहीँ …!

*********

चेहरे की हंसी से ग़म को भुला दो,
कम बोलो पर सब कुछ बता दो.
खुद ना रुठों पर सब को हँसा दो,
यही राज है ज़िंदगी का,
कि जियो और जीना सिखा दो…..

***********

हम तो बेजान चीजो से भी वफा करते है..
तुझमे तो फिर भी मेरी जान बसी है !!

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अब के गुलशन मे अजब तब्दीलियाँ आने लगी,
तितलियाँ काग़ज़ के फूलों पे भी मंडराने लगी….!!!???

**********

बस एक चेहरे ने तनहा कर दिया हमे वरना!
हम खुद में एक महफ़िल हुआ करते थे.

*********

तुझसे मोहब्बत तो तेरी औकात से ज्यादा ही की थी………….

अब बात नफ़रत की है, तो…. तु सोच तेरा क्या होगा………???

**********

“हँस कर कुबूल क्या कर ली हर सजा हमने,

दस्तूर बना लिया दुनिया ने भी इल्जाम लगाने का”

********

किसने कहा, मेरे दिल में मेहमान बन के आया कर ऐ-दोस्त,
ये तेरी सल्तनत है, जब भी आए, सुलतान बन के आया कर…

*******

तेरी दोस्ती को, मेरे तजुर्बे की जरुरत हैं

कहीं दुश्मनों से…मोहब्बत ना कर बैठो….

*******

अगर बेवफाओ की अलग बस्ती होती साहब….
मेरी महबूबा ही वहां की मल्लिका होती….

*******

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है,
ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है..!!

********

ना तंग करो इतना, हम सताऐ हुऐ हैं,
महोब्बत का गम दिल पे उठाऐ हुऐ हैं,
खिलौना समझ कर हम से ना खेलो,
हम भी उसी खुदा के बनाऐ हुऐ हैं..

*******

मुहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है ..

******

“आप आँखों से दूर दिल के करीब थे,
हम आपके और आप हमारे नसीब थे,
न हम मिल सके, न जुदा हुवे……,
रिश्ते हम दोनों के कितने अजीब थे.”

*******

जिंदगी बस इतना अगर दे तो काफी है …
सर से चादर न हटे , पांव भी चादर में रहे …

******

अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफ़िला ज़िन्दगी का……..
सुकून ढूँढने चले थे,नींद ही गँवा बैठे।।

******
किसी को खुश करने का मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना ऐ दोस्त,

बड़े नसीब वाले होते है वो, जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर…..

******

पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी,
डगमगाना भी जरूरी है संभलने के लिए।

******

किसी को चोट पहुँचाकर माफी माँगना बहुत आसान है
लेकिन
खुद चोट खाकर किसी को माफ करना बहुत मुश्किल है

*******

दुनिया में सब चीज मिल जाती है,….
केवल अपनी गलती नहीं मिलती…..

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अजीब फितरत है उस समंदर की
जो टकराने के लिए पत्थर ढुंढता है..

******

जीवन का हर पन्ना तो रंगीन नही होता,
हर रोने वाला तो गमगीन नही होता
एक ही दिल को कोई कब तक तोड़ता रहेगा
अब कोई जोड़ता भी है तो यकीन नही होता !!!

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तेरे होने पर खुद को तनहा समझू !
मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू !!

ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो !
ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझू!!

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“भले थे तो किसी ने हाल त़क नहींपूछा,,,,

बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!!!

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बस…कंठ ही हमारा नीला नही है …..
वरना ..जहर तो हमने भी कम नही पिया………..

*******

अपनी जुबान से ऐसे मीठे सब्द बोलो
की वापस भी लेने पड़े तो खुद को कड़वे न लगे…!!

*******

“मिलके बिछड़ना दस्तूर है जिंदगी का,
एक यही किस्स मशहूर है जिंदगी का,
बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते,
यही सबसे बड़ा कसूर है जिंदगी का।”

*******

आप तो डर गये मेरी एक ही कसम से,
आपकी कसम देकर हमें तो हज़ारों ने लूटा.

******

हमको ख़ुशी मिल भी गई तो कहा रखेगे हम !
आँखों में हसरतें है तो दिल में किसी का गम !

******

अपना ग़म लेके कही और न जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए

******

अपने अहंकार को काबु मे करना सीख लो

जीतना जल्दी सीखजाओगे उतना आगे बढपाओगे ॥

*******

ऑंख से ऑंख मिलाता है कोई,
दिल को खिंच लिये जाता है कोई,
बहुत हैरत है के भरी मेहफील में,
मुझ को तनहा नज़र आता है कोई।

*******

ग़म ने क्या खूब याद रखा है मेरे दिल का पता

बस ये खुशियाँ ही तो आवारा निकली…..!!!!

*******

अब अपने ज़ख़्म दिखाऊँ किसे और किसे नहीं …!

बेगाने समझते नहीं और अपनोको दिखते नहीं…..,!!

*******

कल भी जी रहा था तेरे लीये।।
अज भी जी रहा हु सिर्फ तेरे लीये।।
फरक सिर्फ इतना है .. कल तक प्यार करने के
लीये जी रहा था अब बदला लेने के लीये जी रहा हु।।

*******

“ओस की बूंदे है, आंख में नमी है,

ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है

ये कैसा मोड है जिन्‍दगी का

जो लोग खास है उन्‍की की कमी हैं ”

*******

कल न हम होंगे न कोई गिला होगा !
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा !!

जो लम्हे हैं चलो हँस कर बिता ले…!
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा !

*******

तुम ना-हक नाराज़ हुए, वरना मयखाने का पता,
हमने हर उस सख्स से पुछा, जिसके नैन नशीले थे..

*******

रात क्या ढली कि सितारे चले गये, गैरों से क्या कहें हम जब अपने ही चले गये,
जीत तो सकते थे हम भी इश्क की बाज़ी, पर तुम्हे जितने के लिए हम हारते चले गये

*******

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि…
पत्थरों को मनाने, फूलों कि क़त्ल कर आए हम ।

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ….
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम

*******

नींदे गिरवी हैं उस के पास,
जिस से मोहब्बत का क़र्ज़ लिया था……

*******

“तन्हाईयां जाने लगी जिंदगी मुस्कुराने लगी,
ना दिन का पता है ना रात का पता.
आप की दोस्ती की खुशबू हमे महकाने लगी,
एक पल तो करीब आ जाओ धड़कन भी आवाज़ लगाने लगी.. ”

*******

उम्र की राह पर रस्ते बदल जाते है,
वक़्त की आंधी मे इंसान बदल जाते है,
हम सोचते है आपको इतना याद ना करे,
लेकिन आँखे बंद करते ही इरादे बदल जाते है

********

कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा

शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गये
सब यही रह जायेंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा __

********

“ज़िन्दगी मे कई मुशकिले आती है,
और इन्सान ज़िन्दा रहने से घबराता है,
ना जाने कैसे हज़ारो कांटो के बीच,
रह कर भी एक फूल मुस्कुराता है.”

*******

रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरूरत आसमान को होती है,
आप हमें भूल न जाना, क्योंकी
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है…….

******

मेरे आंसू और तेरी यादों का कोई तो रिश्ता जरूर है..
कमबख्त जब भी आते है दोनों साथ ही आते है………

*******

तुम्हारा वो पुराना साथ अब न मिलेगा मुझे,
शायद इसलिए तेरी यादों के साथ सो रहा हूँ मैं।
सच में,जबसे हुए हो दूर तुम जिंदगी से मेरी,
कैसे कहूँ की कितना अकेला सा हो गया हूँ मैं।

*******

ना दौलत पे नाज करते है,
ना शोहरत पे नाज करते है,
भगवान ने हिंदू के घर पैदा किया है,
इसलिए अपनी किस्मत पे नाज करते है..
जय श्री राम…

******

तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा
वरना तू सुर्खियों में रहे, तेरी इतनी औकात नहीं!!!

******

अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना ।

लोग अक्सर दूसरों का सामान खो देते है.

*******

किताबों की तरह बहुत से अलफ़ाज़ हैं मुझ में,

और किताबों की तरह ही में खामोश रहता हूँ…!

*******

फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में;
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और ना मिले;
तो समझ लेना कि कुछ और
अच्छा लिखा है तक़दीर में।

*******

दुश्मनों के खेमे में चल रही थी मेरे क़त्ल की साज़िश
मैं पहुँचा तो वो बोले ” यार तेरी उम्र लम्बी है ”

*******

माँगना भूल न जाऊँ तुम्हें हर नमाज़ के बाद..
इसलिये मैंने तुम्हारा नाम ‘दुआ’ रख दिया…

********

वोह अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझानें पढ़ें,
हमने मुहब्बत की है कोई वकालत नहीं ।

*******

“मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं है…

चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए…”

********

मुझे अपनी मौत का तो कोई गम नहीं है लेकिन,

तेरे आशियां पे मरते तोकुछ और बात होती….

*******

कितने नाजुक मिजाज है
वो कुछ न पुछीये
निंद नही आती है
उन्हे धड़कन के शौर से

********

दोस्ती तो ज़िन्दगी का वो खूबसुरत लम्हा है,
जिसका अंदाज सब रिश्तों से अलबेला है,
जिसे मिल जाये वो खुश…………,
जिसे ना मिले वो लाखों में अकेला है|

********

हकीम दानिश

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