“बिखरने दो होंठों पे हंसी के फुहारों को दोस्तों,
प्रेम से बात कर लेने से जायदाद कम नहीं होती….!
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आइना तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरहा!!!!!!!
तुझे भी बदल देते है ये लोग तोड़ने के बाद…..!!!
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मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता… !!
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मोहबत किताबो में और
शायरी में ही अच्छी लगाती हे
ज़िन्दगी में नहीं…!!
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सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है…..
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हर मुलाक़ात पर वक़्त का तक़ाज़ा हुआ।
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ।
सुनी थी सिर्फ ग़ज़लों में जुदाई कि बातें।
अब खुद पर बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ
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पूछो ना उस कागज़ से जिस पे;
हम दिल के मुकाम लिखते है;
तन्हाइयों में बीती बातें तमाम लिखते है;
वो कलम भी दीवानी हो गई;
जिस से हम आप का नाम लिखते है।
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प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं मानू…..
वरना….
तू समन्दर है, तो होगा, मेरे किस काम का ??
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मैं ऊँचे लोगों की ऊँचाइयों से वाकिफ हूँ…
बड़ा मुश्किल है इस दुनिया में ऊँचा रहकर ऊँचा होना !!!
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एक नफरत ही हैं जिसे,
दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं.
वरना चाहत का यकीन दिलाने में,
तो जिन्दगी बीत जाती हैं..
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टूटा तारा देखकर मांगते है कुछ न कुछ लोग,
पर अगर वो दे सकता तो खुद क्यूँ तूट जाता…!!!
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“बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे
इक शहर अब इनका भी होना चाहिए……!!
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आज़माते हैं लोग सब्र मेरा …..!
बार-बार कर के जिक्र तेरा…..!!
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ये भी अच्छा है सिर्फ सुनता है;
दिल अगर बोलता तो कयामत हो जाती ।
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खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाउंगा……
वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ, गुज़र जाउंगा…..
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इतनी मतलबी हो गई हैं आँखें मेरी ..,
कि तेरे दीदार के बिना दुनिया अच्छी नहीं लगती ..!!!
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हर शख्स को नफरत झूठ से है,
मैँ परेशा हूँ सोच कर कि फिर ये झूठ
बोलता कौन है…….
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कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आ जाना…मुझे अपने जैसे लोग बहुत अच्छे लगते हैं
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सफ़ाई देने में, और स्पष्ट करने में अपना समय बर्बाद न करें. लोग वही सुनते है, जो वे सुनना चाहते हैं.
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बिखरने दो होंठों पे हंसी के फुहारों को दोस्तों,
प्रेम से बात कर लेने से जायदाद कम नहीं होती..
********
ज़िन्दगी तुझसे हर कदम पर समझौता करूँ,
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं।l
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परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे।
बस इतनी सी दुआ है की आप मेहरबां रहे।
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हँसते हुए लोगों की संगत ईत्र की दुकान जैसे होती है,
कुछ ना खरीदो
फिर भी रूह महका देते है …….
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ज़िन्दगी हो या शतरंज…
मज़ा तभी है दोस्त…..जब रानी साथ हो….
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“न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला,
वो लम्हे , जो छुपकर रखे थे जीने के लिए”…
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आज ख़ामोश सा मंजर है यहाँ…!!
ईश्क़ तो नहीं हो गया सबको…!!
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लोगों ने रोज़ कुछ नया मांगा खुदा से,
एक हम ही तेरे ख्यालों से आगे नहीं गये।!!
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“भाग्य उसे कहते हैँ जब अवसर दरवाजा खटखटाए और आप उसी क्षण उत्तर देने के काबिल हो ..!!!”
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“मेरी शायरी को इतनी शिद्दत से ना पढ़िए..
गलती से कुछ याद हो गया तो मुझे भुला ना पाओगे”..!!!
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कल न हम होंगे न कोई गिला होगा !
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा !!
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जो लम्हे हैं चलो हँस कर बिता ले…!
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा !
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दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया
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लोग मन्जिल को मुश्किल समझते है,
हम मुश्किल को मन्जिल समझते है,
बडा फरक है लोगो मे ओर हम मै,
लोग जिन्दगी को दोस्त ओर हम दोस्त को जिन्दगी समझते है.
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आदते अलग हे हमारी दुनिया वालो से,
कम दोस्त रखते हे मगर
लाजवाब रखते है-
क्योंकि बेशक हमारी माला छोटी है-
पर फूल उसमे सारे गुलाब रखते हे…
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मेरे हालत की नज़ाक़त से अभी नावाकिफ़ हो तुम…
हम उसे भी जीना सिखा देते है, जिसे मरने का शौक हो…!!!
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जानत! हूँ कि तुम्हारा होना है । आओ हँस लें कि फिर तो रोना है ।
हमको अपना पता भी याद नहीं, तेरी आँखों का जादू – टोना है ।
हर तरफ़ प्यार, प्यार, प्यार उगे, बीज ऐसा दिलों में बोना है ।
मौत और ज़िन्दगी का अर्थ है क्या, साँस का जागना है, सोना है ।
तू अभी तक बसा है साँसों में, तुझसे महका ये कोना-कोना है
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दुआ कबुल हो ज़ाये तो कैसा रोना ,
हर बार निशाना मोहब्बत पर तो नही होता!!!
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बेवफाई तो सभी करते है…
तुमतो समजदार थे,
कुछ और करते…!!!
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उम्रे दराज मांग के लाये थे चार दिन ।
दो आरजू में कट गए दो इंतजार मे
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ं
ये माना के तेरी नज़र के काबिल नहीं हूँ मैं,
कभी उन से भी पूछ, जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं!!
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सौदा हमारा कभी बाज़ार तक नही पहुंचा,
इश्क था जो कभी इज़हार तक नही पहुंचा,
यूँ तो गुफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी,
सिलसिला कभी ये प्यार तक नही पहुंचा,
जाने कैसे वाकिफ़ हो गया तमाम शहर,
दास्ताने-इश्क वैसे “अखबार” तक नही पहुंचा,
शर्तें एक दूसरे की मंज़ूर थी यूँ तो,
पर मसौदा हमारा कभी “करार” तक नही पहुंचा,
गहराई दोस्ती की मैं नापता भी कैसे,
रिश्ता हमारा कभी “तकरार” तक नही पहुंचा,
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कभी-कभी ज़िंदगी में ये तय
करना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि गलत क्या है?
वो झूठ जो चेहरे पे मुस्कान लाए;
या वो सच जो आँखों में आंसू लाए।
********
जब उसने ददॅ दिया तो याद आया
मेने ही तो दुआओ में उसके सारे ददॅ मांगे थे
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तुम तो मेरे करीब से निकले थे फिर भी कहते हो देखा ही नहीं……
कभी मुझे देखने की चाहत में इंतजार दिन-रात किया करते थे…
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” गुजर तो जायेगी जिन्दगी उसके बगैर भी
लेकिन तरसता रहेगा दिल प्यार करने वालो को देखकर….”
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अच्छे दोस्तोँ की तलाश तो कमजोर दिल वालोँ को होती है…
बडे दिल वाले तो हर दोस्त को अच्छा बना लेते हैँ….
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ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार:
दोनों मिल कर उसे भूल जाते है। …..
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इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेले,
रूह तक कांप जाती है सदमे सहते सहते..
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ज़िंदा रहेंगे तो हर दिन तुम्हें हम याद करेंगे..
भूल गये तो समझ लेना खुदा ने हमें याद कर लिया…
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जिनकी दोस्ती सच्ची है,
वो कब फ़रियाद करते है….?
जुबान खामोश होती है,
मगर दिल से याद करते है….!!
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मन में है जो, साफ साफ कह दो..
“फैसला” “फासले” से बेहतर होता है…..
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हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं …,,
तुम बिछड गए,
हम बिख़र गए !!
तुम मिले नहीं,
हम किसी ओर के हुए नहीं !!
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हाँ है, तो मुस्कुरा दे…
ना है, तो नज़र फेर ले…
यूँ शरमा के आँखें झुकाने से उलझनें बढ़ रही हैं…!!!
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तुम ने कहा था…आँख भरके देख लिया करो हमें,
अब आँख भर आती है पर तुम नजर नहीं आते….!!
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लोग वाकिफ हे मेरी आदतों से ..
रुतबा कम ही सही पर,
लाजवाब रखते है……
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लम्हों ने खता की थी ,
सदियों ने सजा पाई है”
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इश्क पे मुकदमा कर के क्या मिल जायेगा,
जनाब-ऐ-हुस्न को पकड़ो, जो फसाद की जड़ है !!
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वोह कबसे तलवार लिये मेरे पीछे भाग रही है…
मैने तो मजाक मै कहा था की…
दिल चीर के दैख… तेरा ही नाम होगा…
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कुर्बान हो जाऊँ उस सख्श की हाथों की लकीरों पर
जिसने तुझे माँगा भी नहीं और तुझे पा भी लिया,
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मत देख ऐ हसीना मुझको यु हँसते हँसते
मेरे दोस्त बड़े नालायक है, कह देंगे भाभी नमस्ते
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फुर्सत किसे है ज़ख्मों पे मरहम लगाने की,
निगाहें बदल गयी अपने और बेगाने की,
तू न छोड़ना दोस्ती का हाथ, वरना
तम्मना मिट जायेगी कभी दोस्त बनाने की ||
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जीवन में अगर आप कामयाब हो तो सब माफ़ है ..
वर्ना सब आपके बाप है. . .
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जाने किस चमन की शाख़ सूनी हो गई होगी,
ये सोच कर हम फूल तोहफ़े में नही लेते !
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पैसा कमाने के लिए इतना वक़्त खर्चा ना करो कि.
पैसा खर्च करने के लिए वक़्त ही ना मिले।
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चुप रहना ही बेहतर है, जमाने के हिसाब से !
धोखा खा जाते है, अक्सर ज्यादा बोलने वाले !!
*********
हाथ में टच फ़ोन,
बस स्टेटस के लिये अच्छा है….
सबके टच में रहो,
ज़िन्दगी के लिये ज्यादा अच्छा है ।
*********
कमाल का ताना दिया आज किसी ने मुझे..
कि, लिखते तो खूब हो, समझा भी दिया करो ! ……
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“कोई एक शख्स तो यु मिले,
कि वोह मिले तो, सुकून मिले…..!!
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यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के,
ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले…
*********
बस ‘जान’ जाओ मुझे,
यही ‘पहचान’ है मेरी…
हम ‘दिल’ में आते हैं,
‘समझ’ में नहीं..!!
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सिमटते जा रहें हैं….दिल और ज़ज्बात के रिश्ते….
सौदा करने मे जो माहिर है….बस वही धनवान है…
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सौ खामियाँ मुझमे सही मगर,
इक खूबी भी है,
अपनों को आज तक पराया नहीं किया….
*********
सीधा सादा डाकीया, जादु करें महान
एक ही थैलेमे भरे, आँसु और मुस्कान…!!!!!
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लाजिमी है उसका खुद पे गुरूर करना,
हम जिसे चाहे वो मामूली हो भी नही सकती…..
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मेरी उम्र इतनी तो नहीं फिर भी.. ना जाने क्यों??
.
बड़े बड़े आशिक़ मुझे सलाम करते है …!!
*********
“मेरी उम्र उसके ख्याल मेँ गुजरी,
मेरा ख्याल जिसे उम्र भर ना आया……..!”
*********
अपने हर लफ्ज में कहर रखते है हम,
रहे खामोश तो भी असर रखते है हम..!!
********
अनकहे शब्दों के बोझ से
थक जाता हूँ कभी..
ना जाने खामोश रहना
समझदारी है या मजबूरी?
********
सिर्फ इशारों में होती महोब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता?
बस पत्थर बन के रह जाता “ताज महल”
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता..
********
भरे बाज़ार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते..!!
*********
आज वो काबिल हुए,
जो कभी काबिल ना थे,
और मंज़िलें उनको मिली,
जो दौड़ में शामिल ना थे
********
हम आज भी अपने हुनर मे दम रखते है ।।
फट जाती है लोगो की जब हम कदम रखते है।।
*********
यूँ ही कम है ज़िंदगी मोहब्बत के लिए ,
रूठ कर वक्त गवाने की ज़रुरत क्या है
*******
मेरे मुस्कुराते चेहरे को देख तुम मुझे
क्या समझोगे ,
मुझे तो वो नही समझ पाया जिसने मुझे
मुस्कुराना सिखाया…
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तेरी चाहत तो मुक़द्दर है मिले न मिले,
राहत ज़रूर मिल जाती है तुझे अपना सोच कर.”
********
देखते है अब किस की जान जायेगी;
उसने मेरी और मेने उसकी कसम खाई हैं!
*******
“कौन कहता है मुझे ठेस का एहसास नहीं,
जिंदगी एक उदासी है जो तुम पास नहीं,
मांग कर मैं न पियूं तो यह मेरी खुद्दारी है,
इसका मतलब यह तो नहीं है कि मुझे प्यास नहीं.”
*******
मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है…
करता भी क्या..बात जो तुम पर आ रही थी….
********
अब तेरा नाम हथेलियों पर नहीं लिखते हम,,
कारोबार में सबसे हाथ मिलाना पड़ता है..!!!!!
********
वो साथ था तो …मानो जन्नत थी ज़िन्दगी……!
अब तो हर साँस ज़िंदा रहने की वज़ह पूछती है…!!
********
जींदगी गुझर गई सारी कांटो की कगार पर,
और फुलो ने मचाई है भीड़ हमारी मझार पर…..
********
ये कैसा इंतकाम है यारों.,की जिस शक्स पर ये दिल पलों में फिदा हुआ था….,
आज “मोहल्लत” माँग रहा है उससे “जुदा” होने को …
*********
उस शख्स से बस इतना ताल्लुक है मेरा…
वो परेशान हो तो मुझे नींद नहीं आती ।।
********
अच्छे अच्छो का ईमान जो हीला देती हे
सोये हुऐ कीतने को जगा देती हे
दौलत मे वो गरमी हे की जो चड जाये
तो ईन्सान को भी शैतान बना देती हे
********
कोई ताबीज ऐसा दो की मैं चालाक हो जाऊ
ं
बहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी ।
********
आज फिर निकली है वो बे-नक़ाब शहर मे दोस्तों…
आज फिर भीड़ होगी कफ़न की दुकान में…..!!
********
बेवफाई तेरी आज मिटा कर आया हुँ.
खत तेरे सारे पानी मेँ बहा कर आया हुँ…..
.
कोई पढ़ ना ले तेरी बेवफाई के अफसाने,
इस लिए तेरी खातिर पानी मे भी आग लगा के आया हुँ………
********
उसको रब से इतनी बार माँगा है,
की अब हम सिर्फ हाथ उठाते है तो
सवाल फ़रिश्ते खुद ही लिख लेते है ।
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गम तो सभी देते है
गम मे साथ कम देते है
********
समेट कर ले जाओ आप अपने झूठे वादों के अधूरे किस्से,
अगली मोहब्बत में आपको फिर इनकी जरुरत पड़ेगी !!
********
अजनबी थे तो अच्छा था….
इस जान पहचान ने कम्बखत…. फासले बढ़ा दिए…
********
मुझको जब ऊँचाई दे
मुझको जमीं दिखाई दे
एक सदा ऐसी भी हो
मुझको साफ सुनाई दे
दूर रहूँ मैं खुद से भी
मुझको वो तनहाई दे
********
तू इस कदर इन्सान को इतना बेबस ना बना मेरे खुदा…!!!
की तेरा बन्दा तुजसे पहले किसी और के आगे झुक जाये…..!!!
**********
” कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफिलों से , हमें आवाज दे देना, हम अकसर अकेले होते हें !”..
*********
“ठहर सके जो …….. लबों पे हमारे,
हँसी के सिवा, है मजाल किसकी”..
*********
हकीम दानिश की शायरी
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