Wednesday, January 21, 2015

हकीम की शायरी

ये बात और है कि इज़हार ना कर सकेँ..

नहीँ है तुम से मोहब्बत..भला ये कौन कहता है.

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हजारो बार ली हैं तलाशियाँ तुमने मेरे दिल की,
बताओ कभी कुछ मिला है तुम्हारे सिवा !!!!

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क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे..
और तुम गले लगा के कहो.. और कुछ..??

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जीत कर दिखा दूँगा तुझे दुनिया से…
हर बार मैं ही हारू, ज़रूरी है क्या…

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माना की नही आता मुझे किसी का दिल जीतना…..!!
मगर ये तो बताओ की यहाँ दिल है किसके पास…?

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जो कभी हंस के मिलते थे वो अब इल्ज़ाम देते हैं,
वक़्त की बात है, लोग बदले गिन-गिन के लेते हैं…

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“क़िफ़ायती दरो पर एहसास बिक रहे हैँ….
चलो थोड़े तुम खरीद लो, थोड़े  मैं ख़रीद लू…”

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क्या हुआ.. जो मेरे लब तेरे लब से लग गए
माफ़ ना करो ना सही… बदला तो ले लो…

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तुम्हें जब कभी मिले फ़ुरसतें मेरे दिल से बोझ उतार दो,,
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो…!!

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झूठ अगर यह है कि तुम मेरे हो, तो यकीन मानो,
मेरे लिए सच कोई मायने नहीं रखता…..!!

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शक तो था मोहब्बत में नुक्सान होगा,
पर सारा हमारा होगा ये मालूम न था।

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मुझे रुला कर सोना तो तेरी आदत बन गई है ,,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली बेशक तुझे नींद से नफरत हो जायेगी ”

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दिल दुखाया करो इजाज़त है,
भूल जाने की बात मत करना ..

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हराकर कोई जान भी ले ले,
मुझे मंजुर है,.. पर…….
धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता!

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सो जाऊ के तेरी याद में खो जाऊ…
ये फैसला भी नहीं होता और सुबह हो जाती है…

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रोज़ वो ख़्वाबों में आते हैं गले मिलने को,
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है किस्मत मेरी…

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वजह पूछ मत तू मेरे रोने कि
तेरी मुस्कराहट पे ख़ुशी के दो आंसू गिर गए….

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मेने अपनी बैचेनी का एक
हिस्सा जलाया था कुछ देर पहले,

लोगो को सिर्फ सिगरेट नज़र आया…

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कर दिया कुर्बान खुद को हमने वफ़ा के नाम पर; छोड़ गए वो हमको अकेला मजबूरियों के नाम पर।

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आज जब मौत हमे लेने आई तो ये कह कर वापिस चली गयी..
ऐ दोस्त मैं ज़िंदगी उन की लेती हूँ जो ज़िंदा होते हैं..

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किताब में दबी….. जब तेरी उलटी तस्वीर नज़र आती है….
“तेरा वो पलट के देखना याद आता है….”

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“समंदर की लहरों पर, पैरों के निशान बना सकता हूँ!
तुम साथ ग़र दो तो, जमीं पर आसमां बना सकता हूँ!!”

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बदल जाती हो तुम !! कुछ पल साथ बिताने के बाद……
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा….

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जब भी वो मुस्कुरा क्र बात करती है….

मुझे अपने दिल की फिकर लग जाती है……..

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मुस्कराहट भी मुस्कराती है ……  
जब वो आपके होंठो से होकर आती है…..

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अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात …
खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूँ “कौन” ?

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इसे लबों से चूमते हैं… ज़ुबाँ से छेड़ते
हैं…बूँद-बूँद… धीरे धीरे… ये शराब हैं
जनाब… इसे हम यूँ ही नहीं पीते..

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मैंने सारी रात पत्तियों को देखा बारिश के पानी को बूँद बूँद रिहा करते हुए…

किसी अपने को खोना भी शायद ऐसा ही कुछ लगता हैं…

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तू अगर बेनक़ाब हो जाए …
जिंदगानी शराब हो जाए….

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अभी आए, अभी बैठे, अभी दामन संभाला है
तुम्हारी जाऊं जाऊं ने हमारा दम निकाला है।

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बादशाह नही ईकके है हम,,,कयाेंकि हारने की हमे आदत नही…
और,किसीके सामने जुकना हमारी फितरत मै नही…

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दर्द बनाकर रख लो मुझे
सुना है दर्द बहुत वक्त तक साथ रहता है ।

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मेरे पास गोपीयाँ तो बहुत है….पर मेरा मन मेरी राधा के सीवा कही लगता ही नही…!!

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सबर कर बन्दे मुसीबत के दिन भी गुज़र जायेंगे…
हसी उड़ाने वालो के भी चेहरे उतर जायेंगे…

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उन्हे सफेद रंग पसंद था इस लीये हमने ये रंग अपना लीया,
ये दुनीया वालो ने तो हमे खामखा सुलतान मीजाँ बना लीया..

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बहुत शौक है न मुझे मार डालने का तुझे !!
एक काम करो, लगा के ज़हर होंठो पे, मेरी बाहों मे आ जाओ !!!!

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आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का,
दो बूँद बारिश ने औकात बता दी !

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खुद को खोने का पता नहीं चला,
किसी को पानेकी यूँ इन्तहा कर दी मैंने।

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मेरा विरोध करना आसान है
पर मेरा विरोधी बनना संभव नही,
क्यूंकि
जब जब मैं बिखरा हूँ
दुगनी रफ़्तार से निखरा हूँ।।।

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अगर इतनी नफरत है मूझसे तो कोई ऐसी दुआ कर
की………
तेरी दुआ भी पुरी हो जाए और मेरी जिंदगी भी…..

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सुलह करलो अपनी किस्मत से,
कोई तो है जो बिकता नहीं रिश्वत से!!

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रूक जाये मेरी धड़कन तो इसे ‘मौत’ ना समझना..कई बार ऐसा हुआ है तुझे याद करते करते!..

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चलो मान लेता हु मुझे मोहब्बत करना नहीं आता
लेकिन आप ये बतावो की आप को दिल तोडना किस ने सिखाया..!!!

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सिगरेट जलाए बिना दिन बीत जाता हैं मगर तुमसे बात किए बिना नहीं…
मेरी आदतें बिगाड़ते, तुम एक बुरी आदत बन गयी हो।

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रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर…..
किताब सीने पे रखकर सोये हूए एक जमाना हो गया…!!

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चिराग़ रोशनी नही देते…
हम उम्मीद बुझने नही देते…

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“इंतज़ार है मुझे नफ़रत करने वाले कुछ नए
लोगो का…
पुराने नफ़रत करने वाले तो अब मुझे पसंद करने लगे है..

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मेरी चाहत को मेरे हालत के तराजु में नां तोल,
मैंने वो जखम भी खाऐं हैं
जो मेरी किसमत में नहीं थे…

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हमारे अल्फाज़ को ना करो इतना पसंद…
के हमारे शायराना अंदाज से आपको मोहब्बत हो जाये..!!

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तुझको देखा तो फिर उसको ना देखा ग़ालिब..
चाँद कहता रह गया, मैं चाँद हूँ मैं चाँद हूँ….

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तेरी आँखों का वोड़का…
तेरी मुस्कराहट का चखना..

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मुझे एसी शराब बता ये दोस्त
नशा-ए-इश्क उतार पाऊ मै..

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हम भटक कर जुनूँ की राहों में।।
अक़्ल से इन्तक़ाम लेते हैं।।

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दूर अफ़क (क्षितिज-horizon) पे
कहीं कोई बिस्तर होगा शायद…
रोज़ शाम देखता हूँ…

ये थका हारा सूरज वहीं कहीं थककर
गिर जाता है….

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मकाम ए वस्ल ( meeting place) तो अर्ज-ओ-समां ( earth & sky)के बीच में है,
मैं इस ज़मीं से निकलूं तू आसमां से निकल…

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नींद से मेरा पुराना रिश्ता हैं…
मैं नींद से फांसले रखता हूँ…
नींद भी मेरे नज़दीक नहीं आती…

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तेरे लबों पे चंद जमी हुई शिक़ायतें…
ख़ामोशी मुझको अक्सर सुनाया करती हैं…

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फिर से ले जाये मेरी ज़ात से तू इश्क़ उधार
और मैं फिर से तेरे हुस्न पे बाक़ी हो जाऊँ…

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उल्टी पड़ी है कश्तीयाँ रेत पर मेरी,
कोई ले गया है दिल से समंदर निकाल कर..!

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वो उम्र भर तो साथ िनभा ना सके मेरा लेकिन याद बनकर उसने मुझे कभी तन्हा ना छोड़ा..

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जिसको आज मुझमें हज़ारों गलतियां नज़र आती है….
कभी उसी ने कहाँ था “तुम जैसे भी हो, मेरे हों… ”

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बच्चे उस गरीब के खा सके खाना त्योहारों में,
तभी तो भगवान भी बिक जाते है बाजारों में ।।

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“क्यूँ दुनिया वाले मोहब्बत को खुदा का दर्ज़ा देते हैं,
हमने आजतक नहीं सुना कि खुदा ने बेवफाई की हो”..

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तेरी बातों मैं प्यार के तेवर कम थे…
जब आँखों में झाँका तो हम ही हम थे…!!

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कुछ लोग मेरी जींदगी मे खुशबु की तरह है …
महसुस तो होते है दिखाई नही देते….

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हमे जब नींद आएगी तो इस कदर सोएंगे
के लोग रोएंगे हमे जगाने के लिए ||

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एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है ..
भटक जाते हैं वे लोग जिनके सैकडों खुदा होते हैं..

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मुझे गम है तोह बस इतना गम है,
की…
तेरी दुनिया मेरे ख्वाबों से कम है..!!..

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जल रही है सिगरेट खत्म
हो रही जिन्दगी अजीब
इत्तेफाक है ये धीरे धीरे ही सही..

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हर कर्ज दोस्ती का अदा कौन करेगा,
हम ना रहे तो दोस्ती कौन करेगा !

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रोज देते हो दिन रात मुझको,
इस क़दर ग़म कहाँ से लाते हो..!!!

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मेरी ‘खामोशी’ का कोई मोल नही,
उसकी ‘ज़िद्द’ की कीमत ज्यादा है…!!

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मौत शायद इसी को कहते है………
दिल अब किसी कि ख्वाहिश नहीं करता..!!

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शराब को तब तक अन्दर जाने दो…
जब तक शराब बाहर ना आने लगे…

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तेरे आने से पहले उदासी रहती है,
तेरे जाने के बाद उदासी छाती है…

इस बीचजो वक़्त गुज़रता है उसे मैं
ज़िन्दगी नाम देता हूँ…

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खामोश मिजाजी तुम्हे जीने नहीं देगी
इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो…..

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गुलाम बनोगे तो कुत्ता समजकर लात मारेगी ये
दुनिया,
नवाब बनोगे तो शेर समजकर सलाम ठोकेगी ये
दुनिया….

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अब क्या याद करने पर भी जुर्माना करोगे
वो भी चुका देंगे तो क्या बहाना करोगे ?

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करीब आने की कोशिश तो मैं करूँ लेकिन;
हमारे बिच कोई फ़ासला दिखाई तो दे !!!

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ग़म की दुकान खोल के बैठा हुआ था मैं;
आँसू निकल पड़े हैं ख़रीददार देख कर.!!

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लोग इश्क से न जाने क्यों डरते हैं
हम तो मोहब्बत की ताक में रहते हैं…

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लिखी कुछ शायरी ऐसे तेरे नाम से….
कि जिस ने तुम्हें देखा नहीं, वो भी तुम्हें बेमिसाल कहने लगे है…..

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जब कभी टूट कर बिखरो तो बताना हमको;
हम तुम्हें रेत के जर्रों से भी चुन सकते हैं।

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आया तो बार बार संदेशा अमीर का ..
.. मगर हो न सका सौदा जमीर का !!

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अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता
तो खुदा होता या तेरा दिल होता…

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खुबसूरत रिश्ता है मेरा और खुदा के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नहीं..

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इन हसरतों को इतना भी कैद में ना रख ए-जिंदगी,..
ये दिल भी थक चुका है, इनकी जमानत कराते कराते…..

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ए इश्क…मुझको कुछ और जख्म चाहियें…!!!
अब मेरी शायरी में वो बात नहीं रही…!!

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हार की परवाह करता तो,मे जीतना छोड देता,
लेकिन ‘जीत’ मेरी जीद हे ,ओर जीत का मे बादशाह…

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वो चुपके से जरूर आएगी मिलने मुझसे….
हकीकत नही तो “सपने” मे ही सही…

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कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो तुम पर मैं जानता हूँ
असली निखार मेरी तारीफ से ही आता है…

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वो मुझसे बोली…क्या तुम जी लोगे मेरे बिना!!!
मैने पूछा क्या तुम ऑक्सीजन हो…

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बस तुम अपने होठों से, मेरे कानों मे उठने को कह देना …..
यकीन मानो हम जनाज़े पर होने के वावजुद,
तुम्हारा भरोसा नहीं तोङ़ेगें…!!

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ये “शायरी” लिखना उनका काम नहीं,
जिनके “दिल” आँखों में बसा करते हैं..!!
“शायरी” तो वो सख्श लिखते है,
जो शराब से नहीं “कलम” से “नशा: करते हे..

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वोह जब करीब से हंस कर गुजर गए
कुछ खास दोस्तों के भी चेहरे उतर गए…..

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“वही है शाम वही खुशगवार मौसम फ़िर,
मैं कर रहा हूँ मेरी ख़्वाहिशों का मातम फ़िर।।।

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यूँ तो एक ठिकाना मेरा भी हैं…
मगर तुम्हारे बिना मैं
लापता सा महसूस करता हु…

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नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।

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कितनी शराबें चढ़ाईं है
तब जा कर तुम उतरी हो..

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वो जो आँखों को सुकून देती थी….
कुछ रोज़ हुए हैं वो दिल को दर्द देती है…

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बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में

जब से हुआ है,
कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता।…..

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ये इत्तेफ़ाक़ नहीं कि आज हम तनहा है ……….
नाकाम होने के लिए भी बड़ी मशक्कत कि है हमने ……

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” काश तू मेरी आखो का आंसू बन जाए,
में रोना छोड़ दू तुझे खोने के डर से।”

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उतनी बार तो उनकी सूरत भी नही देखी
जितनी बार उनके इंतज़ार में घड़ी देखी..

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तुम मुझे अब याद नहीं आते…
तुम मुझे याद हो गये हो अब…

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सुना था कभी किसी से,
ये भगवान की दुनिया है,
और मोहब्बत से चलती है…

करीब से जाना तो समझा,
ये स्वार्थ की दुनिया है,
और बस जरुरतों से चलती है…

********

जिंदगी जला दी हमने जैसे जलानी थी,
अब धुऐं पर तमाशा कैसा
राख पर बहस कैसी…

********

इस दुनिया में लाखों लोग रहते हैं;
कोई हँसता है तो कोई रोता है;
पर दुनिया में सुखी वही होता है;
जो शाम को दो पैग लगा कर सोता है।

********

जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ,
किस्मत की रोटी तो कुत्तेको भी नसीब होती है..

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छोड़ दी सारी खाव्हिश जो तुझे पसंद ना थी ए दोस्त….
तेरी दोस्ती ना सही पर तेरी ख्वाहिश आज भी पूरी करते है..!!

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मुकाम ऐ महोब्बत तूने समझा ही नहीं…
वरना जहाँ तक था तेरा साथ, वही तक थी ज़िंदगी मेरी..!!!!

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मेरे अपने कहीं कम न हो जाएँ
इस डर से हमने मूसीबत में भी
किसी अपने को आजमाया नहीं ॥

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सोचता हू छोड दू यै सिगरैट
पर सोचने के लीये भी एक चाहियै ….

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मयखाने सजे थे, जाम का था दौर…
जाम में क्या था, ये किसने किया गौर…

जाम में “गम” था मेरे अरमानो का…
और सब कह रहे थे एक और एक और…

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तुमको अपनी मिसाल दैता हुँ….
इश्क़ ज़िन्दा भी छोड़ देता हे..

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चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये…
बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये…!!

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चल ख़्वाब छोड़ नींद से उठ..,,
जिंदगी फिर बुला रही है जीने के लिए.

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कैसे रहेगी ज़िंदा ये तहजीब सोचिए….
स्कूलों से ज्यादा शहर में मयखाने हो गए…

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रिश्ते चाहे कितने भी बुरे हो,लेकिन कभी भी उन्हें मत तोडना ,
क्युकी पानी चाहे कितना भी गदा ह़ो , पर प्यास नहीं तो आग़ तो बुजा ही देता है ।

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अभी तो बस इश्क़ हुआ है,
मंजिल तो मयखाने में मिलेगी.

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इतना कुछ हो रहा है इस दुनिया में….
क्या तुम मेरे नही हो सकते???

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आदमी मजबूरियों में कभी हारता नहीं हैं…
इस शेहेर के टूटे हुए मकान में भी घर बसते हैं…

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कोई अब जगाती हैं इन आँखों को रातों में…
हमने सोने का वक़्त अब बदल लिया हैं…

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हर किसी को मैं खुश रख सकूं वो सलीका मुझे नहीं आता,
जो मैं नहीं हूँ वो दिखाने का तरीका मुझे नहीं आता.!

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बेर कैसे होते है “शबरी” से पूछो,
राम जी से पूछोगे तो मीठा ही बोलेंगे !!”

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अभी मसरूफ हूँ काफी कभी फुरसत में सोचूंगा,
कि तुझको याद रखने में, मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ….

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कुछ सपनों को पूरा करने निकले थे घर से,

किसको पता था कि घर जाना ही एक सपना बन जायेगा।

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कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की..!!!!!

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तेरे जल्वो ने यह कैसी शर्त रख दी,,
कि खुश्बु दैखने की शर्त रख दी..

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आईना भला कब किसी को सच बता पाया है,

जब भी देखो दांया,
तो बायां नज़र आया है..!!

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तेरी ख्वाहिश करली तो कौनसा गुनाह किया,
लोग तो इबादत में पूरी क़ायनातमांगतेहैं खुदा से ।.

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हादसे से बड़ा हादसा ये हुआ.,
लोग ठहरे नहीं हादसा देखकर……..!!

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“जवाब” तो था मेरे पास उन के हर सवाल का…
पर खामोश रहकर मैंने उनको “लाजवाब” बना दिया…

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नया हू अभी धिरे धिरे सिख जाऊंगा..
पर किसीके सामने झुक कर अपनी पेहचान
नहि बनाऊंगा…..!

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तू जीद है दिल की वरना इन आँखों ने और भी चहरे देखे हैं..

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जुदाई हो अगर लम्बी तो अपने रूठ जाते हैं….
बहुत ज्यादा परखने से भी रिश्ते टूट जाते हैं…

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रिश्ते गर बढ़ जाए हद से तो गम मिलते है…!
इसलिए आजकल हम हर शख्स से कम मिलते है…!!

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1 comment:

  1. रूठ जाते हो हर बार खुद ही
    कभी हमें भी तो रूठ जाने दिया होता

    मनाते हैं हम हर बार ही तुमको
    कभी तुमने भी तो हमें मनाया होता

    जानते हैं हम की पत्थर हो तुम
    कभी तुमने अपने दिल मैं कोई फूल तो खिलाया होता

    जब भी मिले हो बस काँटे ही चुभोये हैं
    कभी किसी गुल से तो हमें नवाजा होता

    ज़ख़्म पर ज़ख़्म दिए हमको
    कभी उन पर मरहम तो लगाया होता

    माना की तुमको प्यार नही हमसे
    पर कभी झुटे ही अपने गले से तो लगाया होता

    हम तो भूल जाते इस एक पल मैं हर बात को
    कभी प्यार से हमें नाम से बुलाया तो होता.

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