Monday, October 26, 2015

हक़ हुसैन या हुसैन

🚩 يا حسين  🚩ياحسين

ज़ुल्म चाहे मज़ीद हो जाये,
बच्चा बच्चा शहीद हो जाये..!!

हम हुसैनी थे और हुसैनी ही रहेंगे,
चाहे सारी दुनिया यज़ीद हो जाये..!

🚩 يا حسين  🚩ياحسين
खून से चिराग दीन का जलाया हुसैन ने
रस्मे व़फा को खूब निभाया हुसैन ने
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जंहा मे
सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने...

हजरत Ali  फरमाते हैं कि मुझे जन्नत से ज्यादा मस्जिद मे बैठना पसंद है
क्योंकि जन्नत में बैठने से मेरा दिल खुश होता है

और मस्जिद में बैठने से मेरा रब खुश होता है

इस एसमस को रोकिएगा नहीं

|चार सवाल चार जवाब|||
एक निसरानी ( ईसाई ) बादशाह ने चार सवाल
लिख कर हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु के
पास भेजा।।।
उनके जवाब आसमानी किताबों में से देने का
मुतालबा किया।।।
सवाल ये हैं'''''
1: एक माँ के पेट से दो बच्चे एक ही दिन एक ही
वक्त पैदा हुए।। फिर दोनों का इंतिकाल भी एक
ही दिन हुआ एक भाई की उम्र सो साल बड़ी और
दुसरे की उम्र सौ साल छोटी हुई। ये कौन थे..?
और ऐसा किस तरह हुआ...?
2: वो कौन सी जमीन है जहां शुरुआत से कयामत
तक सिर्फ एक बार सूरज की किरने लगीं।।।
न पहले कभी लगीं थी न अब कभी लगेंगी....?
3: वो कौन सा कैदी है जिसकी कैदखानें में सांस
लेने की इजाजत नहीं और वो बगैर सांस लिए
जिंदा रहता है....?
4: वो कौन सी कबर है
जिसका मुर्दा भी जिंदा और कबर भी जिंदा
और कबर अपने अंदर दफन हुए को सैर कराती
फिरती थी फिर वो मुर्दा कबर से बाहर निकल
कर ज़िंदा रहा और
कुछ दिनों बाद वफात पाया...?
हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु ने हजरत
अब्दुल्लाह बिन अब्बासरज़ी अल्लाहु अन्हु को
बुलाया और फरमाया इन
सवालों के जवाब लिख दें।।।
हज़रत अब्दुल्लाह रज़ी अल्लाहु अन्हु ने तहरीरें
कलमबंद कीं।।।
जवाब
1: जो दोनों भाई एक ही दिन पैदा हुए और एक ही
दिन वफात पाई और उनकी उम्र में सौ साल
का फर्क़ है वो दोनों भाई हज़रत अज़ीज़ और हज़रत
उज़ैर अलैहिस्सलाम हैं।।।
ये दोनों भाई एक ही दिन एक ही माँ के पेट से
पैदा हुए और एक ही दिन वफात पाई ।लेकिन
अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत दिखाने के लिए
उज़ैर अलैहिस्सलाम को पुरे सौ साल मारे रखा ।
सौ साल मौत के बाद अल्लाह ने जिंदगी बख्शी
।।
सूरह आल-इमरान में ये ज़िक्र मौजूद है।। वो घर
गए
और कुछ दिन
जिंदा रहकर मौत आई।।।
दोनों भाइयों की वफात भी एक दिन हुई इसलए
इसलिए उज़ैर
अलैहिस्सलाम की ऊम्र अपने भाई से छोटी हुई और
हज़रत अज़ीज़
अलैहिस्सलाम की बड़ी।।।
2: वो जमीन समुन्द्र की खाड़ी कुलज़िम की
तह है
जहां फिरऔन मरदूद
गर्क हुआ था हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के मोजिज़े
( चमत्कार ) से
समुन्द्र सुखा था और हुक्म इलाही से सूरज ने बहुत
जल्द सुखाय
था।।।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अपनी कौम
बनी इसराइल के साथ पार चले
गए और जब फिरऔन दाखिल हुआ तो डूब गया उस
जमीन पर सूरज
एक बार लगा और अब कयामत तक नहीं
लगेगा।।।
3: जिस कैदी को कैदखाने में सांस लेने की
इजाज़त
नहीं और वो बगैर
सांस लिए ज़िंदा रहता है वो बच्चा अपनी माँ के
पेट में कैद होता है '
अल्लाह तआला ने उसके सांस लेने का ज़िक्र
नहीं किया और न
वो सांस लेता है।।।
4: कबर जिसका मुर्दा भी जिंदा और कबर
भी जिंदा वो मुर्दा हजरत
युनुस अलैहिस्सलाम थे और उनकी कबर
मछली थी जो उनको पेट में
रखे जगह जगह फिरती थी । हज़रत युनुस
अलैहिस्सलाम अल्लाह के
हुक्म से मछली के पेट से बाहर आकर कुछ साल
ज़िंदा रहे फिर वफात
पाई।।।
और लोगों तक पहुंचाएं।।।
SUBHAN ALLAH
आप सल्लाल्लाहों अलैह वसल्लम ने फ़रमाया : जिस ने
मेरी एक हदीस सुनी और दूसरों तक पहुँचा दी तो
उसके लिए क़यामत के रोज़ मेरी शफात वाजिब
होगी
(सुबहान अल्लाह )
🌹haak farid ya farid🌹

भटकी हुई हयात के रहबर हुसैन हैं
!!
सेहरा है करबला तो समन्दर हुसैन हैं
!!
खुशबू पयामे हक की है सारे जहान में
गुलज़ार-ए-मुस्तफा के गुल-ए-तर हुसैन हैं
!!
इश्क-ए-हुसैन से मेरी उक़बा संवर गई
सब्र-ओ-रोज़ा के आज भी पैकर हुसैन हैं
!!
बेशक हयात-ओ-मौत का है फैसला यही
जी कर यजीद मर गया, घर-घर हुसैन हैं
!!
जान अपनी दे के जिन्दगी बख्शी है दीन को
हर दिल का,हर निगाह का मेहवर हुसैन हैं
!!
हैदर के नूर-ए-ऐन जिगर गोशा-ए-रसूल
मासूम और बाला-ओ-बरतर हुसैन हैं
!!
'फरीन' उनके दम से ही रौशन हैं कायनात
दीन-ए-मुबीन के माह-ए-मुनव्वर हुसैन हैं
!!
इमदाद अपने जैसों की दिन रात कर गए,
खालिक को जो पसंद है वो बात कर गए।
!!
देखा है हमने सबको नमाजों में माँगते,
लेकिन "अली" नमाज़ में खैरात कर गए।

बहता रहेगा हस्र तलक तज़किरो में जो

रूहानी तशनगि का वो दरिया हुसैन है

क़ुर्बान होगा हक़ पे कहा था हुज़ूर ने

ये गोद में जो मेरा नवासा हुसैन है

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