Saturday, November 22, 2014

इस्लाम

जब छोटा था तब दोस्तों के साथ
बीच पर नहाते हुए एक बुज़ुर्ग से सुना था
बेटा ज़्यादा गहराई में मत जाना
डूब सकते हो  समुन्दर में जो
ज्यादा गहराई में गया वो डूब
ही गया उस वक्त नादान थे हम
नहीं समझे पर आज जब लोगो को इस्लाम में दाखिल होते हुए
देख रहा हु तो वो बात अब समझ आ रही है की वो क्या
कहना चाह रहे थे जिसने इस्लाम की गहराई को समझ लिया वो
इसमें डूब ही गया  भाइयो मेरा तो यही मानना है की बुज़ुर्गो की एक बात के हज़ारो
मतलब होते है जो वक्त के साथ साथ समझ आते है
हकीम दानिश

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