आईना देख ज़रा ऐब लगाने वाले।
तेरे चेहरे पे भी है दाग़ ज़माने वाले।
की है तरमीम ये किसने मेरे मैखान में,
आज मसनद पे हैं पैमाना उठाने वाले।
जिन को हम कोई तवज्जोह नहीं देते यारो,
काम आते हैं वही लोग पुराने वाले।
आज जो हमको मिटाने पे तुले बैठे हैं,
खुद न मिट जाएं कहीं हमको मिटाने वाले।
फायदा आग लगाने से चमन का होगा।
दूर तक रोशनी जायेगी जलाने वाले।
ये खि़रद वाले जुनूं वालों का क्या कर लेंगे,
बात से बात बनाते हैं बनाने वाले।
वक़्त आने पे ज़माने को बताएंगे ‘शकील’,
लोग जि़न्दा हैं अभी जान लुटाने वाले।
हकीम दानिश
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