काश कुछ दिनों के लिए,
दुनियाँ को छोड़ जाना मुमकिन होता !
सुना है लोग बहुत याद करते हैं,
दुनियाँ से चले जाने के बाद !!
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यूँ तो ये गिलास कितना छोटा है
पर न जाने कितनी बोतलें पी गया होगा…
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उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया
‘यारो’
जिस रात उस ने कहा के सुबह आंख खुलते ही मुझे भूल जाना ।
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गिलास में पड़ी,
शराब के दो घूंटो में ही थी ज़िन्दगी
और हम ज़िन्दगी को कहाँ कहाँ ढूंढते रहे…
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आज सोचा ज़िन्दा हूँ , तो घूम लूँ …
मरने के बाद तो भटकना ही है ।।
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सब पूछेंगे जब तक चार पैसे हैं,
फिर कोई नहीं पूछेगा के आप केसे है ??
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कोई तो बात हैं तेरे दिल मे, जो इतनी गहरी हैं कि,
तेरी हँसी, तेरी आँखों तक नहीं पहुँचती..
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तुम्ही ने सफ़र कराया था मोहब्बत की कश्ती में,
अब नज़र ना चुरा मुझे डूबता हुआ भी देख ….
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कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…
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हजारो मयखाने शहर में तेरे …. आबाद हो गए,
इश्क़ में ना जाने कितने आशिक़ बर्बाद हो गए ।।
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दुश्मन बनाने के लिए जरुरी नहीं के युद्ध ही लड़ा जाए….!
थोड़े से कामयाब हो जाओ, वो खैरात में मिलेंगे….!!
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एक अजीब फ़िक्र खा रही है मुझे,,,
अपनी ही आवाज़ आ रही है मुझे….
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सब समझते हैं बात मतलब की
कोई नहीं समझता मतलब बात का…
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”इंतहा तो देखो बेवफाई कि ……..
एग्जाम मे निबंध आया बेवफाई पर…………
बस एक नाम ‘तेरा’ लिखा और हम टाँप कर गये …….”
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मियाँ.. मरने के लिए थोड़ा सा, लेकिन जिंदा रहने के लिए बहुत सारा जहर पीना पड़ता है ।
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हर बार सम्हाल लूँगा, गिरो तुम चाहो जितनी बार ।
बस इल्तजा एक ही है, कि मेरी नज़रों से ना गिरना ।
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गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को,
तब अपनों का पता चलता है…
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“नही है हमारा हाल,
कुछ तुम्हारे हाल से अलग,
बस फ़र्क है इतना,
कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते.”
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जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर,
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नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है…!!!
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दिल तो सीने में दफ़्न हुआ करता है,
शायद इसलिये….
लोग चेहरे पर फ़िदा हुआ करते हैं…!”
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तनहा रहेने का भी अपना मज़ा है दोस्तों…….
यकीन होता है की कोई छोड़कर नहीं जायेगा,
और
उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की…!!
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मुझे तो इन्साफ़ चािहये…बस…
िदल मैरा हे….तो मािलक तुम कैसे!!!!
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मुद्दत का सफर भी था,
ओर बर्षो कि चाहत भी थी,
रुकते तो बिखर जाते,
चलते तो दिल टूट जाते,
यु समझ लो की ……
लगी प्यास गज़ब कि थी,
ओर पानी मे भी ज़हर था,
पीते तो मर जाते,
ओर न पीते तो भी मर जाते….!!!!!!!
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कितना शरीफ शख्श है पत्नी पे फ़िदा है..
उस पे कमाल ये कि अपनी पे फ़िदा है…!
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न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे।
बस
सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत॥
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“तासीर इतनी ही काफी है की वो मेरा दोस्त है,
क्या ख़ास है उसमे ऐसा कभी सोचा ही नही”
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हर कोई हमको मिला पहने हुए नकाब,,
अब किसको कहें अच्छा, किसको कहें खराब..
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खुद ही रोये और रो कर चुप हो गए…
ये सोचकर कि आज कोई अपना होता तो रोने ना देता…!!
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हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह…
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे..
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खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….
तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..
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ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही ,
बस टूट टूट कर बिखरने आरज़ू नहीं रही !
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बहुत अजीब हैं तेरे बाद की,, ये बरसातें भी,
हम अक्सर बन्द कमरे मैं भीग जाते हैं…
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यूँ तो मसले और मुद्दे बहुत हैं …….लिखने को मगर ,,,
कमबख्त़ इन कागज़ों को तेरा ही ,,,ज़िक्र अज़ीज़ है …
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खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है” !!
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“शाम खाली है जाम खाली है,ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,…”
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“एक हम है की खुद नशे में है, एक तुम हो की खुद नशा तुम में है।”
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“कुछ नशा तो आपकी बात का है,कुछ नशा तो धीमी बरसात का है,
हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये, इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है”
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“तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है, खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ दर्दे दिलवालों, यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है”
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वो एक मौका तो दे हमें बात करने का…
वादा है उन्हें भी रुला देंगे उन्हीं के
सितम सुना-सुना कर¡¡
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कुछ कहने से पहले , उसने सोचा भी नहीं ।
उसकी इस भुल ने , हाथों में जाम दे दिया।।
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दर्द इतना था ज़िंदगी में कि धड़कन साथ देने से घबरा गयी!….
आंखें बंद थी किसी कि याद में ओर मौत धोखा खा गयी!….
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हंसी आती ये सोचकर कि दर्द कोई
समझता नही……
मगर उन्हीं दर्दनाक अल्फ़ाज़ो पर दाद देते है लोग।
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बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की;
कोई किसी को टूट कर चाहता है;
और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।
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अपने मेहमान को पलकों पे बिठा लेती है
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम हैं…
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उनका कहना था कि मेरी शायरी में अब वो दम नहीं,
उन्हें क्या पता हम शायरी में दम नहीं दिल लगाते हैं !!
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ख्वाहिश तो थी मिलने की… पर कभी कोशिश नही की…
सोचा के जब खुदा माना है तुजको तो बिन देखे ही पूजेंगे..
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तेरी बातें लम्बी है…
दलीलें हैं और बहाने हैं…
मेरी बात सिर्फ इतनी है…
मेरी ज़िन्दगी तुम हो…!!
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एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों..
जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…!
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कीमत बता तू मुझे,सजा-ए-मोहब्बत से रिहाई की….
बहुत तकलीफ होती है तेरी यादों की सलाखों में…..
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एक आइना…..और…एक मै,,
इस दुिनया में तेरे िदवाने दो..
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क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे…
और तुम गले लगा के कहो, ‘और कुछ?
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तूजे भुलने के लिये मैने सिगरेट
जलायी तो थि पर कम्बख्त घूऐ ने
तेरी तसवीर बना दी.
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अपनी आदतों के अनुसार चलने में
इतनी गलतिया नहीं होतीं,
जितनी दुनिया का लिहाज रखकर चलने में होती हैं.
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जब भी तूट कर बीखरता हुं मे
दुगुना हो कर नीखरता हु मे…
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कहेनेको तो…….. आंसू अपने होते है,
पर …..देता कोई और है……
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जिन्दगी जला दी हमने जब जलानी थी.
अब धुएँ पर तमाशा क्यों
और राख पर बहस कैसी!!!!
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मेरे ख्वाबों का उसे कौन पता देता है।
नींद में आके वो अक्सर ही जगा देता है।
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तेरा याद आ जाना”
हो सकती है. ” बात ज़रा सी “
मगर, यह बात बहुत देर तक याद आती है…
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काश के कभी तुम समझ जाओ,
मेरी मोहब्बत की इन्तेहा को,
हैरान रह जाओग तुम अपनी खुशकिस्मती पे !!!!
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चलो उसका नही तो खुदा का अहसान लेते है,
वो मिन्नत से ना माना तो मन्नत से मांग लेते है….
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तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज,
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है….
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”हमारी ताकत का अंदाजा हमारे जोर से नही…”
”दुश्मन के शोर से पता चलता है…”
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ये सोच के नज़रें मिलाता ही नहीं…
कि आँखें कहीं ज़ज्बात का इज़हार न कर दें |।।
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“दिल टूट गया है फिर भी कसक सीने में बाकी है
नशे मैं मदहोश हैं तो क्या पैमाने मैं जाम अब भी बाकी है.”
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तारों से कह दो कि वो टूट गिरे मेरे हाथों में,
माँगता है यार मेरा मुझसे उन्हें अक्सर रातों में….!!!!
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“हमें बरबाद करना है तोह हमसे प्यार करो ॥
नफरत करोगे तोह खुद बरबाद हो जाओगे!!!”
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दिल भी बड़ा बत्तमिज़ है धडकता है सिने मे,ं
ऐसों के लिए जिन्हें धडकन सुनाई ही नहीं देती।
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उसको रब से इतनी बार माँगा है
की अब हम सिर्फ हाथ उठाते है तो
सवाल फ़रिश्ते खुद ही लिख लेते है ।
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“रातों को आवारगी की आदत तो
हम दोनों में थी.!!
अफ़सोस चाँद को ग्रहण
और मुझे इश्क हो गया.!!”
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कुछ तो बात है उसकी फीतरत मै,
वरना उसे चाहने की खता हम बार-बार न करते…!!!
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हम आते हैं महफ़िल में तो फ़कत एक वजह से,
यारों को रहे ख़बर कि अभी हम हैं वजूद में..”
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मेरी ख्वाहिश तो थी की मुझे तुम हीं मिलते,
पर मेरे ख्वाहिशों की इतनी औकात कहाँ !!
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तजुर्बा एक ही काफी था ,बयान करने के लिए ,
मैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा कर के..!!
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कल रात उसको ख्वाब मे गले से लगाया था मैने…
आज दिन भर मेरे दोस्त मेरी महक का राज पूछते रहे…
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साँसों का टूट जाना,तो आम सी बात है दोस्तों
जहाँ अपने बदल जाये,मौत तो उसे कहते है………….
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मालूम है मुझे ये बहुत मुश्किल है….फिर भी हसरत है, तुम मेरी खामोशियों की वजह पूछोगे….
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मेरे बारे में, अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,
“मुझसे” भी बुरे हैं लोग, तू घर से निकलकर तो देख ।।
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“ख़ूबसूरत था इस क़दर कि महसूस ना हुआ..!!
कैसे, कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया”..!!
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मेरी झोली में कुछ अल्फाज़ अपनी दुआ के दाल देना ए दोस्त…
क्या पता तेरे लब हीले और मेरी तकदीर सवर जाए ।
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ईलाका कीसी का भी हो !!
पर घमाका हमारा ही होगा !!!
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आदत हमारी “खराब” नही दोस्तो….
बस
जींदगी “नवाबी” जीते है…..!!!
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हाथ में पैमाना , उँगलियों में सिगरेट फँसा है …
धुआँ धुआँ यादें हैं, हकीकत बस नशा है….
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“भाई” का हक़ तो सिर्फ तुजे दिया हे,
बाकि दुनियावाले “बाप” के नाम से जानते हे …..||
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टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया……
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी…..
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तेरे गरजने से एक ख़ौफ़ सा पैदा होता हे िदल मे…एै बादल,,
तु…बे-आवाज़ बरस िलया कर मेरे आँसुओं की तरहा..
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याद वोह नहीं जो अकेले आये।।
याद तो वोह हे जो महेफिल में आये…
और अकेला कर जाये।।।।
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ज्यादा कुछ नहीं बदला
ज़िन्दगी में,बस बटुए थोड़े भारी
और
रिश्ते थोड़े हलके हो गए !
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बड़ा मीठा नशा था उसकी याद का,
वक्त गुजरता गया और हम आदी होते गए..
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वाह.! मौसम तेरी वफा पे आज दिल खुश हो गया..
याद-ए-यार मुझे आइ और तु बरस पड़ा.!!
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“हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम,
फिर वही शायरी, फिर वही इश्क, फिर वही तुम.”
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इक तेरे बगैर ही ना
गुज़रेगी ये ज़िन्दगी मेरी…
बता मैं क्या करूँ
सारे ज़माने की ख़ुशी लेकर….
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श़राब और मेरा…ब्रेकअप ..सैकड़ों बार हो चुका है!!
हर बार कमबख़्त….मुझे मना लेती हे…….
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किस्मत की एक ही आदत है, कि वो पलटती है,
और जब पलटती है, तब पलटकर रख देती है….
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नफरत भी हम हेशियत देखकर करते हे,
प्यार तो बहुत दूर की बात हे..!!
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“चंद फासला जरूर रखिए हर रिश्ते के दरमियान
क्योंकि बदलने वाले अक्सर बेहद अजीज ही हुआ करते हैं…..”
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वाह.! मौसम तेरी वफा पे आज दिल खुश हो गया..
याद-ए-यार मुझे आइ और तु बरस पड़ा.!!
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“एहसान” बड़ा कीमती अल्फ़ाज़ हैं।
जैसे ही इसका इस्तेमाल होता हैं दोस्ती में,
दोस्ती दोस्ती नहीं रहती।
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लोग दिखते है जो होते ही नही फिर भी विश्वास मेरी फितरत है ।।
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“सोने के जेवर और
हमारे तेवर लोगों को अक्सर बहोत महंगे पडते है।”
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आज जा कर के उसने, सच में भुलाया है मुझे…
वरना ये हिचकियाँ , पानी से तो नहीं जाती थीं…!!
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यूँ तो कई बार भीगे बारिश में,
मगर ख्यालों का आँगन सूखा ही रहा,
जब आँखों की दीवारें गीली हुई
उसकी यादो से,
तब ही जाना हम ने बारीश क्या होती है..
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इन बादलों का मिजाज
मेरे महबूब से बहुत मिलता है ।
कभी टूट के बरसते हैं कभी बेरुखी से गुज़र जाते हैं ।
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