घर वापसी पर एक नज़्म आप सब पढ़े
कह रहा हु में ये नाप तोल कर
अपने इमा की आवाज़ पर बोलकर
ख्वाब घर वापसी का जो बुनते है वो
मेरी धड़कन सुने कान को खोलकर
हम मोहम्मद के इस्लाम की शान पर
कल भी कुर्बान थे अब भी कुर्बान है
हम मुसलमान है हम मुसलमान है
हम मुसलमान है हम मुस्लमान है
मेरे भारत तेरी आन है शान है
हम मुसलमान है हम मुसलमान है
हम तेरी सरहदों के निगेहबान है
हम मुसलमान है हम मुसलमान है
हम तो फारस अरब से भी आये नहीं
तेरे अपने है हम तो पराये नहीं
इस तरह से सितम हम पे ढाये गए
मुद्दते हो गयी मुस्कुराये नहीं
मेरे पुरखो की जागीरदारी है ये
मत समझिये गा हम लोग मेहमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
मेरे भारत तेरी आन है शान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
सब पे लागू ना ये बेबसी कीजिये
अपने घर की भी कुछ चौकसी कीजिये
हो वो मुख्तार नकवी या हो शाहनवाज़
पहले उनकी तो घर वापसी कीजिये
पाँच दिन की हुकूमत पे इतना नशा
हम तो वो है जो सदियो से सुल्तान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
इमरान प्रतापगणी
हकीम दानिश
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