Saturday, April 18, 2015

घर वापसी पर एक नज़्म

घर वापसी पर एक नज़्म आप सब पढ़े
कह रहा हु में ये नाप तोल कर
अपने इमा की आवाज़ पर बोलकर
ख्वाब घर वापसी का जो बुनते है वो
मेरी धड़कन सुने कान को खोलकर
हम मोहम्मद के इस्लाम की शान पर
कल भी कुर्बान थे अब भी कुर्बान है
हम मुसलमान है हम मुसलमान है
हम मुसलमान है हम मुस्लमान है
मेरे भारत तेरी आन है शान है
हम मुसलमान है हम मुसलमान है
हम तेरी सरहदों के निगेहबान है
हम मुसलमान है हम मुसलमान है
हम तो फारस अरब से भी आये नहीं
तेरे अपने है हम तो पराये नहीं
इस तरह से सितम हम पे ढाये गए
मुद्दते हो गयी मुस्कुराये नहीं
मेरे पुरखो की जागीरदारी है ये
मत समझिये गा हम लोग मेहमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
मेरे भारत तेरी आन है शान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
सब पे लागू ना ये बेबसी कीजिये
अपने घर की भी कुछ चौकसी कीजिये
हो वो मुख्तार नकवी या हो शाहनवाज़
पहले उनकी तो घर वापसी कीजिये

पाँच दिन की हुकूमत पे इतना नशा
हम तो वो है जो सदियो से सुल्तान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
हम मुस्लमान है हम मुस्लमान है
इमरान प्रतापगणी
हकीम दानिश

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