Friday, May 1, 2015

किरदार का अक्स

*****किरदार का अक़्स***** भाग 1

एक ऐसी खूबसूरत और सच्ची कहानी कि आपकी ईमान को ताज़ा कर दे ।
फुर्सत मिले तो जरूर पढियेगा.....

ये तक़रीबन 1957 की बात है फ्रांस में कहीं एक रिहायशी इमारत की नुक्कड़ में तुर्की के एक पचास साल के बूढ़े आदमी ने छोटी सी दूकान खोल रखी थी । इर्द गिर्द के लोग उस बूढ़े शख्स को अंकल इब्राहिम के नाम से जानते और पुकारते थे।अंकल इब्राहिम की दूकान में छोटी- मोटी घरेलू जरूरियात की चीजों के अलावा बच्चों के लिये चॉकलेट , आइसक्रीम और गोलियाँ,टाफियां भी मौजूद थीं.....
उसी इमारत में एक मंजिल पर एक यहूदी खानदान आबाद था जिनका एक सात साल का बच्चा (जाद) था।
जाद तक़रीबन रोजाना ही अंकल की दूकान पर घर की जरूरियात की छोटी-मोटी चीजें खरीदने के लिये आता था। दूकान से जाते हुए अंकल इब्राहिम को किसी और काम में मशगूल पाकर जाद ने कभी भी एक चॉकलेट चोरी करना ना भुला थी। एक बार जाद दूकान सइ जाते वक़्त चॉकलेट चोरी करना भूल गया....
अंकल इब्राहिम ने पीछे से जाद को आवाज़ देते हुए कहा कि "जाद" आज चॉकलेट नहीं उठाओगे क्या?????
अंकल इब्राहिम यह बात मुहब्बत में कही थी या दोस्ती से मगर जाद के लिये एक सदमे से बढ़कर था.....
जाद आजतक यही समझता था कि उसकी चोरी एक राज़ था मगर मुआमला उसके बरअक्स था।जाद ने गिड़गिड़ाते हुए अंकल इब्राहिम से कहा कि ... वह उसे माफ़ कर दें तो आइन्दा वह कभी भी चोरी नहीं करेगा....
मगर अंकल इब्राहिम ने जाद से कहा कि अगर तुम वादा करो कि अपनी जिंदगी में कभी भी किसी की चोरी नहीं करोगे तो रोजाना का एक चॉकलेट मेरी तरफ से तुम्हारा हुआ..... हर बार दूकान से घर जाते वक़्त ले जाया करना .....
और आखिरकार इसी बात पर जाद और अंकल का इत्तेफ़ाक़ हो गया.....
वक़्त गुजरता गया और उस यहूदी बच्चे जाद और अंकल इब्राहिम की मुहब्बत गहरी से भी गहरी होती गई। बल्कि ऐसा हो गया कि अंकल इब्राहिम ही जाद के लिये ( माँ,बाप,और दोस्त) का दर्जा इख़्तियार कर चुके थे.........
जाद को जब कभी भी किसी मसअले का सामना होता या परेशानी होती तो अंकल इब्राहिम से ही कहता । ऐसे में अंकल मेज की दराज से एक किताब निकालते और जाद से कहते कि किताब को "कहीं से भी खोलकर" दो ।जाद किताब खोलता और अंकल वहीँ से 2 सफ़हे पढ़ते और जाद को मसअले का हल बताते जाद का दिल इत्मीनान पाता और वो अपने घर को चला जाता ।

और इसी तरह एक के बाद एक करते सत्तरह साल गुजर गए........
सत्तरह साल बाद जब जाद चौबीस साल कअ नौजवान..............

जारी है अगली पोस्ट में.
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