Saturday, May 2, 2015

किरदार का अक्स भाग 2

**** किरदार का अक़्स*****भाग 2
सफह एक से आगे की कहानी....

एक ऐसी खूबसूरत और सच्ची कहानी कि आपके ईमान को ताज़ा कर दे....
फुरसत मिले तो पढियेगा जरूर....

.....और इसी तरह एक के बाद एक करते हुए सत्तरह साल गुजर गए
सत्तरह साल बाद जब जाद चौबीस साल का नौजवान बना तो अंकल इब्राहिम भी उस हिसाब से सड़सठ साल के हो चुके थे.... दाई अजल का बुलावा आया और अंकल वफ़ात पा गए उन्होंने अपने बेटों के पास जाद के लिये एक छोटी सी संदूक छोड़ी थी। उनकी वसीयत थी कि उनके मरने के बाद ये संदूक उस यहूदी नौजवान जाद को तोहफा में दे दी जाय ।
जाद को जब अंकल इब्राहिम के बेटों ने संदूक दी और अपने वालिद के मरने के बारे में बताया तो जाद बहुत ही ग़मगीन हो गया क्योंकि अंकल ही तो उसकी गम को हल करने वाले थे..... जाद ने सन्दुक
खोलकर देखि तो अंदर वही किताब थी जिसे खोलकर अंकल को दिया करता था ..... 
जाद अंकल की निशानी को घर में रखकर दूसरे कामों में मशगूल हो गया 
मगर एक दिन उसे किसी गम ने आ घेरा 
आज अंकल होते तो वह उन्हें किताब खोलकर देता और अंकल दो सफ़हे पढ़ते और मसअले का हल सामने आ जाता ....जाद के दिल में अंकल का ख्याल आया और उसके आँसू निकल आये...... क्यों ना आज मैं खुद कोशिश करूँ किताब खोलते हुए वह अपने आप से मुखातिब हुआ ...... लेकिन....... किताब की जुबान और लिखाई उसकी समझ से बालातर थी। किताब उठाकर अपने त्युन्सी दोस्त के पास गया और उससे कहा कि मुझे इसमें से दो सफ़हे पढ़कर सुनाओ ..... मतलब पूछा और खुद ही अपने दिमाग से अपने मसअले का हल निकाल लिया .....
वापस जाने से पहले उसने अपने दोस्त से पूछा ये कैसी किताब है ??????
.......जारी है.. अगली पोस्ट में...
कल इंशा अल्लाह अगली पोस्ट की जायेगी
हकीम दानिश
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