के आज भी पूरी रात हो गयी जागते हुए।
आज फिर थक गया ज़िन्दगी से भागते हुए।
न मंज़िल का पता है न किसी राह का
बस वक्त गुज़र रहा है दिन काटते हुए।
हकीम
रोज़ एक शायर आज हकीम दानिश
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Syayri Poetry Post
के आज भी पूरी रात हो गयी जागते हुए।
आज फिर थक गया ज़िन्दगी से भागते हुए।
न मंज़िल का पता है न किसी राह का
बस वक्त गुज़र रहा है दिन काटते हुए।
हकीम
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